मुगल शासक शाहजहां के बड़े बेटे दारा शिकोह अगर राजा बने होते तो मुगलकाल का इतिहास आज कुछ और ही होता.

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शाहजहां सबसे बड़े बेटे दारा शिकोह को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे और अगर उनकी ये इच्छा पूरी होती तो शायद आज मुगल इतिहास कुछ और होता.

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इतिहासकार बताते हैं कि दारा शिकोह और औरंगजेब के स्वभाव में काफी अंतर था.

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दारा काफी उदारवादी थे, जबकि औरंगजेब ने गद्दी के लिए भाई की जान ले ली और पिता को भी कैद में डाल दिया था.

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बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार दारा सभी धर्मों को समान मानते थे.

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दारा शिकोह शाही दरबार से मिलने वाली रकम धर्म और दर्शन से जुड़े अपने विचार और मुगल शैली की कलाकृतियां बनवाने में खर्च करते थे.

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वे औरंगजेब की तरह चालाक राजा नहीं थे. इतिहासकारों का कहना है कि उन्हें राज चलाने में कठिनाई हो सकती थी.

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उनकी कई धर्मों और संस्कृतियों में रूची थी. वह सूफियों, योगियों और अलग-अलग धर्मों के गुरुओं से घिरे रहते थे.

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साल 1656 की शुरुआत में उन्होंने उपनिषदों का अनुवाद भी करवाया था. दारा शिकोह को संस्कृत और वेदों में दिलचस्पी थी.

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दूसरी तरफ उनका छोटा भाई औरंगजेब था, जिसने अपने कार्यकाल में कई हिंदू मंदिरों को तुड़वा दिया.

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