मदरसे में मिलने वाली कामिल और फाजिल डिग्री अरबी-फारसी और दीनियात विषयों पर आधारित होती है



कामिल और फाजिल डिग्रियां स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की होती हैं



कामिल और फाजिल डिग्रियों को विश्वविद्यालय की डिग्रियों के बराबर नहीं माना जाता



सरकारी या निजी क्षेत्र में रोजगार के लिए इन डिग्रियों को मान्यता नहीं मिलती है



सुप्रीम कोर्ट ने फाजिल और कामिल के तहत मिलने वाली डिग्री को यूजीसी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन बताया है



हालांकि, मदरसा एक्ट के हक में मिलने वाला फैसला फाजिल और कामिल डिग्री वाले मामले से अलग है



सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मदरसा एक्ट को भी सही बताया है



सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उत्तर प्रदेश के 16 हजार मदरसों को राहत मिल गई है