संस्कृत भाषा का जन्म भारत में नहीं हुआ, तो ये भाषा कहां से आई? चलिए जानते हैं
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संस्कृत भाषा का जन्म भारत में नहीं हुआ, तो ये भाषा कहां से आई? चलिए जानते हैं



बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार कई स्टडीज में कुछ आनुवांशिक साक्ष्यों के आधार पर दावा किया गया कि यमना लोग संस्कृत भाषा लेकर एशिया आए थे.
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बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार कई स्टडीज में कुछ आनुवांशिक साक्ष्यों के आधार पर दावा किया गया कि यमना लोग संस्कृत भाषा लेकर एशिया आए थे.



नए अध्ययन बताते हैं कि संस्कृत की जड़ें भारत में नहीं, बल्कि यूरोप में हैं, जिसे प्रवासी किसान और चरवाहे एशिया में लेकर आए.
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नए अध्ययन बताते हैं कि संस्कृत की जड़ें भारत में नहीं, बल्कि यूरोप में हैं, जिसे प्रवासी किसान और चरवाहे एशिया में लेकर आए.



स्टडी में नए आनुवांशिक साक्ष्यों के आधार पर बताया गया कि इन प्रवासियों ने यूरोप से लेकर दक्षिण एशिया तक के कल्चर और भाषा को प्रभावित किया और नया स्वरूप दिया.
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स्टडी में नए आनुवांशिक साक्ष्यों के आधार पर बताया गया कि इन प्रवासियों ने यूरोप से लेकर दक्षिण एशिया तक के कल्चर और भाषा को प्रभावित किया और नया स्वरूप दिया.



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यमना जनजाति सिर्फ यूरोप पर प्रभावशाली नहीं रही, बल्कि उन्होंने संस्कृत जैसी भाषा के बीज भी बोए, जिससे एशिया की भाषाई पहचान हमेशा के लिए बदल गई.



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मॉडर्न थ्योरी ये बताती है कि संस्कृत भाषा का असली ऑरिजिन यूरोप में है.



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प्राचीन डीएनए से पता चला है कि संस्कृत भाषा की उत्पत्ति काले सागर के पास रहने वाले खानाबदोशों से हुई.



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काला सागर क्षेत्र वह स्थान था, जहां किसान, शिकारी और मैदानी खानाबदोश आपस में टकराए और संस्कृत भाषा का जन्म हुआ, जिसने भारत के सिद्धांत को नया रूप दिया.