इस्लाम में कुर्बानी का बहुत महत्व माना जाता है, इसका कारण क्या है आइये जानते हैं

Published by: एबीपी लाइव डेस्क
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कब होती है बकरीद

हज यात्रा के आखिरी दिन ईद-उल-अजहा या बकरीद होती है

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जिल-हिज्जा की 10 तारीख को ईद

इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने जिल-हिज्जा के दसवें दिन बकरीद मनाई जाती है. इस दिन मुस्लिम किसी जानवर की कुर्बानी देते हैं

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कैसे शुरू हुई कुर्बानी की परंपरा

इस्लामिक जानकारों के अनुसार, कुर्बानी का सिलसिला पैगंबर हजरत इब्राहिम से शुरू हुआ

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अल्लाह ने हजरत इब्राहिम से ख्वाब में क्या कहा

एक दिन अल्लाह पैगंबर हजरत के सपने में आए और उन्हें परखने के लिए उनकी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने को कहा

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हजरत की सबसे प्यारी चीज क्या थी

हजरत इब्राहिम को एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम 'इस्माइल' था. हजरत को उनके बेटे से प्यारी चीज कोई नहीं थी

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कुर्बानी पर क्या बोले इस्माइल

ऐसे में पैगंबर हजरत ने इस्माइल को सारी बात बताई और इस पर उनका विचार पूछा. बेटे ने कहा जैसा आपसे कहा जाए वैसा कीजिए

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कुरान में भी किस्से का जिक्र

कुरान में भी इसका जिक्र किया गया है. हजरत इब्राहिम अपने धर्म के लिए सच्ची निष्ठा रखते थे इसलिए वे कुर्बानी के लिए मान गए

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आंखें खुली तो जिंदा खड़े थे इस्लाइल

हजरत ने बेटे की कुर्बानी के लिए जैसे ही छुरा उठाया और जब उन्होंने आंख खोली तो इस्लामइल जिंदा खड़े थे और बकरे जैसी शक्ल का जानवर कटा हुआ लेटा था

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हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेना चाहते थे अल्लाह

कुरान के अनुसार अल्लाह हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेना चाहते थे. तभी से कुर्बानी की प्रथा चली आ रही है

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