साल 1897 में ब्रॉम स्टोकर ने अपनी एक नोवल ड्रेकुला में वैंपायर का जिक्र किया है. इस किताब में वैंपायर को अंधविश्वास माना गया है
वैंपायर्स की कहानी 18वीं शताब्दी में यूरोप में शुरु हुई और 19वीं सदी तक अमेरिका पहुंच गई
साल 1880 के दशक में अमेरिका में रहने वाले जॉर्ज ब्राउन की पत्नी और उनकी बड़ी बेटी की मौत हो गई. उसके बाद उनके बेटे एडविन की भी तबियत खराब होने लगी
1892 में जॉर्ज की 19 साल की छोटी बेटी मर्सी लीना ब्राउन की भी मौत हो गई. जॉर्ज अपने बेटे को हर हाल में बचाना चाहते थे इसलिए वे अंधविश्वास के रास्ते पर भी गए
वे झाड़फूंक वालों के पास पहुंचे, जिन्होंने कहा कि परिवार के सभी सदस्यों की मौत एक पिशाच के कारण हो रही है, जिसे वैंपायर नाम दिया गया. जॉर्ज के परिवार में सभी लोगों की बीमारी के लक्षण एक जैसे थे
जॉर्ज को एक लोक कहानी सुनाई गई कि अगर किसी की मौत पिशाच से हुई हो तो उसका पता लगाया जा सकता है. इस तरह मरने वाले के शरीर में मरने के बाद भी दिल और लीवर में ताजा खून रहता है
यह कहानी सुनने के बाद जॉर्ज की छोटी बेटी मर्सी लीना ब्राउन की कब्र खोदी गई और यह देखा गया कि क्या उसके दिल और लीवर में खून था
इसके बाद मर्सी लीना के दिल को जलाकर उसकी राख को पानी में मिलाकर एडविन को पिलाया गया ताकि वो ठीक हो जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ
कुछ समय बाद परिवार के सभी लोगों की मौत का राज खुला. पता चला कि सभी की मौत टीबी की बीमारी से हुई थी. उस समय टीबी का इलाज नहीं था जिस वजह से वैंपायर की कहानी बन गई