पाकिस्तानी स्कूलों की किताबों के पहले ही पाठ में हिंदुओं और यहूदियों का जिक्र है और उन्हें लेकर जो बातें लिखी गई हैं वो बेहद चौंकाने वाली हैं



पाकिस्तान में स्कूल से ही बच्चों में हिंदुओं और यहूदियों के लिए नफरत सीखाई जाती है. साल 2020 में पेरिस के एनजीओ बलूच वॉयस एसोसिएशन के अध्यक्ष मुनीर मेंगल ने संयुक्त राष्ट्र की मीटिंग में यह जानकारी दी थी



मुनीर ने बताया कि कैडेट आर्मी कॉलेज में बच्चों को पढ़ाया जाता है कि हिंदू काफिर हैं और यहूदी इस्लाम के दुश्मन हैं



मुनीर का कहना है कि टीचर्स बच्चों के सामने हिंदुओं के खिलाफ बंदूक और बम के इस्तेमाल की वकालत करते हैं. इस तरह बच्चों को बचपन से ही दोनों समुदायों के खिलाफ नफरत सिखाई जाती है



मुनीर ने बताया कि मदरसों में धार्मिक पाठ पढ़ाने के बजाय कट्टरवाद सीखाया जाता है



उन्होंने कहा कि आज भी पाकिस्तान के स्कूल और मदरसों में इस तरह नफरत को बढ़ावा दिया जा रहा है और यह हर शिक्षा पाठ्यक्रम का बुनियादी हिस्सा है



टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, कुछ साल पहले पंजाब प्रांत में घोषणा की गई थी कि विश्वविद्यालय तब तक डिग्री नहीं देंगे जब तक छात्र कुरान ट्रांसलेशन की क्लास नहीं लेते



मुनीर ने कहा कि देश के कमजोर संप्रदाय को दंडित करने के लिए ईशनिंदा कानून का व्यवस्थित तरीके से इस्तेमाल हो रह है



इस सबके खिलाफ आवाज उठाने वालों पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर सजा दी जाती है. ईशनिंदा कानून के तहत सबसे ज्यादा अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है



साल 2019 में पाकिस्तान में 33 साल के यूनिवर्सिटी लेक्चरर जुनैद हफीज को ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी