जब दिल्ली जीतने के लिए मुगल बादशाह अकबर की सेना निकली तो हेमू विक्रमादित्य को इसकी खबर मिली और उन्होंने मुगलों का सफाया करने की ठानी



तीसरा मुगल जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर किताब में लिखा है कि अपने पिता हुमायूं के करीबी बैरम ख़ां के दबाव में अकबर की सेना दिल्ली के लिए निकली



हेमू ने लड़ाई के लिए पानीपत को चुना और अपनी सेना लेकर पानीपत के लिए निकल गए. राहुल संकृत्यायन लिखते हैं कि हेमू ने हाथियों को मक्खन खिलाया और जंग के लिए आगे बढ़ गए



हेमू को अपने तोपखाना और हाथियों की सेना पर बहुत भरोसा था



इस जंग के लिए हेमू ने उत्तर भारत के कई राजाओं और सेनापतियों को संदेश भिजवाया कि जिन्हें अपनी जन्म भूमि से प्रेम हो वह भी पानीपत पहुंचें और मुगलों को बाहर खदेड़ें



इस संदेश पर 30,000 राजपूत सैनिक जंग में शामिल होने के लिए हेमू के झंडे के नीचे इकट्ठा हो गए



राहुल संकृत्यायन लिखते हैं कि हेमू की सेना में बड़े-बड़े जत्थों वाले जंगी तजुर्बे के अफगान, राजपूत,पठान और मेवातियों की 50,000 सिपाहियों की फौज, 1,000 हाथी, 51 तोपें समेत अन्य शामिल थे



पानीपत के युद्ध के लिए अकबर के संरक्षक बैरम ख़ां ने भी अली कुली खां को अग्रीम दस्ते के रूप में भेजा था



जब अली कुली खां को पता चला की हेमू के तोप खाने के साथ बहुत कम सैनिक हैं तो उसने एक योजना के तहत अपनी सेना को हेमू की सेना के रास्ते में खड़ा कर दिया. हेमू हाथियों को मक्खन खिलाते हुए तोपख़ाने के पीछे आ रहे थे



हेमू के सैनिक इस स्थिति के लिए तैयार नहीं थे और अली कुली खां ने हेमू का सारा तोपखाना छीन लिया जिसके बाद हेमू चिंता में आ गए