साजन दीप प्रसाद पुन नाम के गोरखा सैनिक ने साल 2010 में लड़ाई में अकेले ही तालिबानियों के छक्के खुड़ा दिए थे. आइए आज उनकी कहानी जानते हैं



2001 के ट्विन टावर पर हमले के बाद अमेरिका ने आतंकियों के खिलाफ जंग छेड़ दी. इसके तहत अफगानिस्तान में तैनात NATO ने तालिबानियों पर हमला बोल दिया



NATO एक ग्रुप है, जिसमें अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देशों की सेनाएं शामिल हैं, जो एक-दूसरे के लिए मिलकर काम करती हैं. तालिबान पर हमला करने वाली NATO सेना में ब्रिटिश सेना भी थी



ब्रिटिश सेना के द रोयल गोरखा राइफल्स को तालिबान का सफाया करने की जिम्मेदार दी गई, जिनमें से साजन दीप प्रसाद पुन भी शामिल थे. दीपप्रसाद ने देखा कि दो तालिबानी मेन गेट के पास आइईडी बिछा रहे थे



दीपप्रसाद ने उनकी पहचान पूछी तो जवाब में दूसरी तरफ से गोलियां चलनी शुरू हो गईं. देखते ही देखते तालिबानियों का पूरा झुंड हमला करने पहुंच गया और दीपप्रसाद अकेले थे.



दीपप्रसाद ने अपनी ऊंची और बेहतर पोजीशन का फायदा उठाकर बहादुरी दिखाई और तालिबानियों पर गोलियों की बरसात कर दी. उन्होंने ग्रेनेट फेंका दूसरी तरफ से भी गोले बरसाए गए



दीपप्रसाद के ग्रेनेट और गोलियां खत्म हो गईं और सिर्फ राइफल रह गई. जब दो तालिबानी दीवार चढ़ने की कोशिश कर रहे थे तो उसी राइफल से दीपप्रसाद ने उन्हें मार दिया



इस बीच दीप की राइफल जाम हो गई तो उन्होंने पास में रखे सैंड बैग उठाकर हमला करना चाहा, लेकिन अच्छे से न बंधे होने की वजह से सारा रेत बाहर गिर गया



मुसिबत के समय के लिए गोरखा सिपाही के पास हमेशा खुकरी नाम का हथियार होता है, लेकिन उस वक्त दीपप्रसाद के पास वो भी नहीं था और सारे तालिबान आतंकी लगभग अंदर आ चुके थे



तभी दीपप्रसाद की नजर मशीन गन के ट्राइपॉड पर पड़ी और उन्होंने ट्राइपॉड उठाकर हमलावर के सिर पर मार दिया. दीपप्रसाद आखिरी समय तक तालिबानियों से अकेले लड़ते रहे और थोड़ी ही देर में उनकी यूनिट मदद के लिए आ गई