असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार (27 अगस्त, 2024) को कहा कि वह मिया मुसलमानों को असम पर कब्जा नहीं करने देंगे



उनके इस बयान से मिया मुसलमानों को लेकर चर्चा तेज हो गई है. आइए जानते हैं कि ये कौन होते हैं



मिया एक मुस्लिम समुदाय है जो पूर्वी पाकिस्तान से आकर असम में बसे थे. पूर्वी पाकिस्तान अब अलग होकर बांग्लादेश बन चुका है



असम में मुस्लिम जीवन और साहित्य के स्कॉलर अब्दुल मलिक ने बताया कि मिया मुस्लिम बांग्लादेश के अलग-अलग इलाकों से आकर बसे थे और ये बंगाली भाषा बोलते हैं



असम के स्थाई लोग इन्हें मिया कहकर पुकारा करते थे. इसके अलावा भाटिया, बोंगल के नाम से भी इन्हें पुकारा जाता था



कई शोधकर्ताओं का मानना है कि भारत की आजादी से पहले असम के प्रधानमंत्री सैयद मुहम्मद सादुल्लाह के समय अंग्रेजों के कहने पर इन्हें बुलवाया गया था



मुहम्मद सादुल्लाह ने इन लोगों को कृषि खाद उत्पादन से जुड़े कामों के लिए बुलाया था



साल 1971 में बांग्लादेश-पाकिस्तान के युद्ध के समय भी मिया मुसलमानों बड़ी संख्या में असम आकर बस गए थे



एक्सपर्टस के मुताबिक, मिया मुस्लिम स्थानीय मुसलमानों की तुलना में राजनीति के प्रति ज्यादा जागरुक हैं. राज्य की 35 मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों में से सिर्फ 2 या 3 पर ही स्थानीय मुस्लिम उम्मीदवार जीते हैं



असम की 126 विधानसभा सीटों में से 30 क्षेत्रों में मिया समुदाय के मुसलमानों की आबादी सबसे ज्यादा है