अकबर के आदेश पर बैरम खां मक्का की यात्रा पर निकल गया, लेकिन मक्का पहुंचने से पहले ही उसकी हत्या कर दी गई



मुंशी देवी प्रसाद ने खानखाना में लिखा है कि मुबारक खां लोहानी ने बैरम खां की हत्या की थी. लोहानी का बाप मछीवाड़ा के युद्ध में मारा गया था, जिसका नेतृत्व बैरम खां कर रहा था



मुबारक लोहानी को पता चला कि बैरम खां थोड़ से अंगरक्षकों के साथ मक्का जा रहा है तो उसने पिता की मौत का बदला लेने का सोचा



बैरम खां के साथ जा रहे काफिले में दिल्ली के पुराने सुलतान की कश्मीरी बेगम भी शामिल थीं



बेगम ने बैरम खां से कहा कि वह सुलतान की पुत्री का विवाह बैरम के चार वर्षीय पुत्र के साथ करना चाहती है. इसका पठानों को पता चला तो वह बिगड़ गए और बैरम खां को मारने का सोचा



मक्का जाते हुए बैरम खां अनिल पट्टन में रुका और एक तालाब देखने गया और वापस लौटने लगा तो उस पर हमला हो गया



बैरम खां पर यह हमला मुबारक खां लोहानी ने किया था. पहले लोहानी खां ने ऐसे दिखाया कि वह बस बैरम खां को बस सलाम करने आया है



बैरम खां ने पठानों को अपने पास बुलाया. मुबारक खां लोहानी ने बैरम खां के नजदीक जाते ही अपने कपड़े में छुपाए चाकू से इतनी जोर से वार किया कि वह छाती के पार निकल गया



अबुल फजल लिखते हैं कि उसी समय दूसरे पठान ने बैरम खां के माथे पर तलवार से वार करके उसको मार डाला



वार के बाद बैरम खां जमीन पर गिर गया और उसके शरीर से बहुत खून निकलने लगा.