अवध के इतिहास में एक मां और बेटे की जंग का किस्सा भी दर्ज है, आइए जानते हैं वो किस्सा क्या है
यह कहानी अवध के तीसरे नवाब शुजा-उद-दौला की पत्नी बहू बेगम और उनके बेटे आसफ-उद-दौला की है
शुजा-उद-दौला की मृत्यु के बाद आसफ-उद-दौला को नया नवाब चुना गया, लेकिन उनकी दादी सदरजहां को लगता था कि वह आसफ अभी नवाबी संभालने के योग्य नहीं है
आसफ-उद-दौला के गद्दी पर बैठते ही मां-बेटे के रिश्ते खराब होना शुरू हो गए
इतिहासकार फैज बख्श के मुताबिक, पति की मृत्यु के गम में डूबी बेगम ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा नवाब को दे दिया, लेकिन नवाब को इससे संतुष्टी नहीं हुई
उसने बहू बेगम से सारी संपत्ति मांगी और बेगम के अधिकार वाले इलाकों पर कब्जा करना शुरू कर दिया
इसके बाद अवध की राजधानी फैजाबाद से लखनऊ शिफ्ट कर दी गई. इस तरह फैजाबाद बहू बेगम का और लखनऊ नवाब का अधिकार क्षेत्र हो गया
आसफ-उद-दौला ने बहू बेगम की सारी संपत्ति हथियाने के लिए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से हाथ मिला लिया और एक शर्त रखी
शर्त ये थी कि अगर कंपनी बहू बेगम के खिलाफ नवाब की मदद करे तो बहू बेगम की सारी संपत्ति उसे मिल जाएगी और कंपनी को उसका हिस्सा मिल जाएगा
नवाब ने अपनी फौज को कंपनी की एक टुकड़ी के साथ लखनऊ से फैजाबाद भेजा. बहू बेगम के पास लड़ने के लिए पर्याप्त ताकत नहीं थी इसलिए उन्होंने सरेंडर कर दिया
इसके बाद नवाब ने बहू बेगम की सारी संपत्ती लूट ली. बेगम के अंतिम समय में उनके साथ कोई नहीं था. अंत में 1815 में बेगम की मृत्यु हो गई