भारत में जब ब्रिटिश हुकूमत थी तो एक जासूस थे भगत राम तलवार उर्फ रहमत खान, जिन्होंने जर्मनी के तानाशाह हिटलर को चूना लगाया था
मिहिर बोस की किताब 'सिल्वर: द स्पाइ हू फूल्ड द नाजी' में उनका जिक्र है. उन्होंने एक समय पर पांच देशों के लिए जासूसी की
इटली, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन के लिए जासूसी के अलावा सुभाष चंद्र बोस को उन्होंने काबुल से बाहर निकालने में मदद की थी. रहमत खान एक डबल एजेंट थे, जो जर्मनी के लिए जासूसी करके उसी के खिलाफ काम कर रहे थे
रहमत की वजह से वजीरिस्तान में एक बड़ा विद्रोह होने से बच गया था. दरअसल, हिटलर ने रहमत को भारत भेजा था क्योंकि वह ब्रिटिश हुकूमत को कमजोर करना चाहता था
इसी मकसद से हिटलर वजीरिस्तान में बागी हो चुके कुछ कबीलियाई सरदारों की विद्रोह के लिए मदद कर रहा था. रहमत इस मोर्चे से हिटलर को जानकारियां भेज रहा था
हिटलर खुश था. उसको लग रहा था कि रहमत ब्रिटेन और मित्र देशों की खुफिया खबरें लाकर दे रहा है. हिटलर की नाजी पार्टी के लोग भी काफी खुश थे और रहमत को अपना वफादार मानते थे
रहमत को जर्मन मिलिट्री के सबसे बड़े सम्मान 'आयरन क्रॉस' से सम्मानित किया गया और 25 करोड़ रुपये इनाम में दिए. ये लोग रहमत पर अंधा विश्वास कर रहे थे, जबकि सच्चाई कुछ और ही थी
हिटलर सीक्रेट सोसाइटी के पास पहुंचाई गई, सभी खबरें दिल्ली के राष्ट्रपति भवन यानी उस समय के वाईसरीगल पैलेस से बनाकर भेजी जा रही थीं
ऐसा इसलिए किया गया ताकि सीक्रेट सोसाइटी को गुमराह किया जा सके
रहमत खान ने हिटलर को गलत जानकारी दी, जिससे वजीरिस्तान में होने वाला बड़ा विद्रोह टल गया