भारत में आजीविक 600 पहले एक धर्म था जो जैन और बौद्धों से काफी मिलता जुलता था

Published by: एबीपी लाइव डेस्क
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कौन थे आजीविक?

मक्खली गोसाला भगवान महावीर के शिष्य थे. किसी बात पर गुरू से मतभेद की वजह से मक्खली ने एक अलग समूह बनाया जिसे 'आजीविक' कहा गया

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कोई भी अपना सकता था आजीविक धर्म

आजीविक नास्तिक थे वे जातिवाद और धर्मवाद नहीं मानते थे इसलिए किसी भी धर्म के लोग इसे अपना सकते थे

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क्या मानते थे आजीविक?

आजीविक नियतिवाद पर भरोसा करते थे, उनका मानना था कि मनुष्य जितनी भी कोशिश कर ले भाग्य नहीं बदल सकता

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लंबी तपस्या में लीन रहते थे आजीविक

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आजीविक कठोर तपस्या करते थे. वे तपस्या के दौरान लंबे समय के लिए मिट्टी के बर्तनों में बंद हो जाया करते थे

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कैसे रहते थे आजीवक

आजीविक जैन धर्म के लोगों की तरह कपड़े नहीं पहनते थे और नंगे होकर भिक्षा मांगते थे

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कीलों पर लेटते थे

ये लोग कीलों पर लेटते और आग पर चलते थे. इतनी कठोर तपस्या की वजह से आजीविक दूर-दूर तक प्रसिद्ध हुए

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जैन से भी ज्यादा थी संख्या

आजीविक मौर्य काल के दौरान अपने चरम पर थे. कई दस्तावेजों से पता चलता है कि आजीविकों की संख्या जैन धर्म के लोगों से भी ज्यादा थी

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आजीवकों ने बसाया था अलग शहर

बौद्ध और जैन ग्रंथों के अनुसार, आजीविकों ने सावत्ती नाम से अपना एक अलग शहर बसाया था, जिसे वर्तमान में 'श्रावस्ती' कहा जाता है

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यूपी के बाराबंकी से क्या है नाता

मौर्य काल में सम्राट अशोक ने उत्तर प्रदेश के बाराबंकी की पहाड़ियों में आजीविकों के लिए गुफाएं भी बनवाईं थीं

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