मुगल शासक अकबर ने आखिरी दिनों में अपने नाम जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर में से मोहम्मद हटा दिया था



बताया जाता है कि अकबर पर उनकी हिंदू पत्नी हरखा बाई का ऐसा असर था कि उन्होंने गोमांस खाना बंद कर दिया और अपने दरबारियों को भी इसके लिए समझाया



अब अकबर साल के कुछ महीनों में ही मांस खाते थे. साथ ही लहसुन और प्याज पर भी प्रतिबंध लगा दिया. इसका जिक्र अबुल फजल ने अकबरनामा में भी किया है



अकबर ने रामायण और महाभारत जैसे हिंदू धर्म ग्रंथों का अनुवाद करने की भी बीड़ा उठाया



अकबर अब दाढ़ी रखने वाले लोगों के साथ मिलने-जुलने से कतराने लगे थे



अकबर गंगाजल पीने लगे थे जो कासगंज से खासतौर पर उनके लिए मंगवाया जाता था. उन्होंने ज्यादा संख्या में उपवास रखना भी शुरू कर दिया



अकबर के दरबार में सभी साहित्यिक गतिविधियों को सम्मान दिया जाता था



अकबर के दरबार में आए फ्रेंच यात्री फादर पिये दू जारीक लिखते हैं कि समय के साथ-साथ अकबर में नास्तिक बनने के संकेत दिखने लगे थे



अकबर के शासनकाल में उनका आधिकारिक नाम जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर था, लेकिन बाद में उन्होंने नाम से मोहम्मद हटा दिया था



यह सब देखकर अकबर के बेटे जहांगीर और उनके वारिस ने भी अपने नाम के आगे मोहम्मद नहीं लगाया



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