मुगल खानदान के 1570 ईसवीं में कई शहजादे ऐसे थे जो अकबर को राजगद्दी से हटाकर खुद बादशाह बनना चाहते थे



ऐसे ही एक शहजादे को मारने के लिए अकबर रात में ही नदी में उतर गए थे. इस बात का जिक्र अबुल फजल ने अकबरनामा में किया है



अकबर को खबर मिली कि इब्राहिम हुसैन मिर्जा ने गुजरात में भुज के किले में उनके सेनापति रुस्तम खां रोमी की हत्या कर दी है



गुस्से में आए अकबर ने सेनापति की मौत का बदला लेने की ठानी, लेकिन बेटे सलीम को कैसे छोड़कर जाते



सलीम और अपने हरम की रक्षा के लिए अमीरों और सैनिकों को तैनात कर दिया. अकबर खुद एक बड़ी सेना लेकर इब्राहिम को मारने निकल गए



अकबर अपने सैनिकों के साथ रात के समय तक महिन्द्री नदी के किनारे पहुंच गए. नदी की दूसरी तरफ सरनाल कस्बे में इब्राहिम का शिविर था



अकबर सुबह होने का इंतजार नहीं कर सकते थे क्योंकि उन्हें पता था कि इब्राहिम का शिविर नदी के दूसरी तरफ लगा हुआ है



उस समय नावों का इंतजाम नहीं हो पाया, जिसकी वजह से अकबर 40 घुड़सवारों के साथ अपने घोड़े पर बैठकर रात में ही नदी पार करने लगे



अकबर ने इस जंग में मदद के लिए राजा मानसिंह को भी साथ लिया और वह अपने 100 घुड़सवारों के साथ पहुंच गए



इब्राहिम के पास 1,000 घुड़सवार थे और अकबर के पास सिर्फ 140. इस बीच सूरत में अकबर को अपने कुछ और सैनिक मिल गए और इन सबके साथ मिलकर अकबर ने इब्राहिम को चारों ओर से घेर लिया