मुगल शासक औरंगजेब कितना कठोर दिल का इंसान था, इसके कई किस्से हैं
औरंगजेब ने एक फकीर को आधा कलमा पढ़ने पर सजा-ए-मौत दे दी थी. ये फकीर औरंगजेब के बड़े भाई दारा शिकोह का गुरु सरमद था
सरमद से जुड़ी चीजें नष्ट कर दी गईं इसलिए उसे लेकर सुने सुनाए किस्से ही हैं. हालांकि, औरंगजेब के दरबारी अली ख़ां राजी के लेख में सरमद के इस किस्से का जिक्र है
सरमद को सभी धर्मों का सम्मान करने वाला माना जाता था. सरमद का कहना था कि वो इस्लाम के साथ राम और लक्ष्मण को भी मानता है
सरमद को औरंगजेब सिर्फ इसलिए मार देना चाहता था क्योंकि वह दारा शिकोह की निशानी था
औरंगजेब को डर था कि मरा हुआ भाई उससे ज्यादा प्रसिद्ध ना हो जाए इसलिए वह दारा का नामोनिशान मिटाना चाहता था
अब सरमद दारा की इकलौती निशानी था तो औरंगजेब ने उसको मारने की ठानी. हालांकि उसके पास ऐसी कोई ठोस वजह नहीं थी कि उसको सजा-ए-मौत दे सके
शरिया को क्यों नहीं मानते या बिना कपड़ों के क्यों घूमते हो, ऐसी सभी वजहों को लेकर उसने सरमद को उकसाने की कोशिश की कि वह उसकी शान में कुछ गुस्ताखी करे और वह उसको मौत की सजा दे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं
फिर एक दिन औरंगजेब ने भरे बाजार में सरमद की पेशी की और कलमा पढ़ने को कहा, और सरमद ‘ला इलाह इल्लिल्लाह’, कहकर चुप हो गया. आधा हिस्सा ‘महम्मद उर रसूलिल्लाह’, नहीं कहा
औरंगजेब ने जब पूछा कि आधा ही कलमा क्यों पढ़ा तो सरमद ने कहा- अभी इतना ही पता है, आगे का जान जाऊंगा तो वो भी पढ़ लूंगा. इसके बाद औरंगजेब ने सरमद की मौत का ऐलान कर दिया और उसका सिर काट दिया गया