बैरम खां मुगल शासक अकबर का संरक्षक था और टारडी बेग खां उनका बूढ़ा अमीर था
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बैरम खां मुगल शासक अकबर का संरक्षक था और टारडी बेग खां उनका बूढ़ा अमीर था



हुमायूं के समय से ही टारडी खां का मुगलों पर काफी प्रभाव था और हुमायूं भी उस पर काफी भरोसा करते थे
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हुमायूं के समय से ही टारडी खां का मुगलों पर काफी प्रभाव था और हुमायूं भी उस पर काफी भरोसा करते थे



1556 में मुगलों को हराकर हेमू विक्रमादित्य ने दिल्ली पर कब्जा किया. इस लड़ाई में हेमू की ताकतवर सेना से डरकर टार डी खां भागकर पंजाब चला गया
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1556 में मुगलों को हराकर हेमू विक्रमादित्य ने दिल्ली पर कब्जा किया. इस लड़ाई में हेमू की ताकतवर सेना से डरकर टार डी खां भागकर पंजाब चला गया



बैरम खां अकबर को दिल्ली फिर से फतह करने के लिए उकसाता रहता था, जबकि उनके कुछ सूबेदार उन्हें काबुल वापसी के लिए समझा रहे थे
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बैरम खां अकबर को दिल्ली फिर से फतह करने के लिए उकसाता रहता था, जबकि उनके कुछ सूबेदार उन्हें काबुल वापसी के लिए समझा रहे थे



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टारडी का भी कहना था कि हेमू की सेना को देखते हुए दिल्ली का सपना छोड़ दें. बैरम खां को लगा कि टारडी खां के रहते अकबर दिल्ली पर हमला नहीं करेंगे



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अकबर ने भी काबुल लौटने का मन बना लिया, लेकिन बैरम खां को रास नहीं आया. इसी बीच टारडी खां अकबर से मिलने सरहिंद पहुंचा



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बैरम खां ने एक योजना बनाई और अकबर को सरहिंद के जंगल में शिकार के लिए भेज दिया



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अकबर के जाने के बाद बैरम खां ने टारडी खान को अपने तंबू में बुलवाया और वहां उसका सिर काटकर हत्या कर दी



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पार्वती शर्मा ने 'अकबर ऑफ हिंदुस्तान' में लिखा है कि जब बैरम खां नमाज के लिए वजू करने उठा तो उसके आदमियों ने टारडी का कत्ल कर दिया



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अकबर जब शिकार से वापस लौटे तो 2 नंबर के पीर मोहम्मद से बैरम खां ने टारडी खां की मौत का पैगाम भिजवाया. इसके बाद अकबर ने हेमू के साथ जंग लड़ी और दिल्ली जीत ली