फूल-रंगों की होली के बाद अब वाराणसी की चिता भस्म होली काफी सुर्खियों में हैं

फूल-रंगों की होली के बाद अब वाराणसी की चिता भस्म होली काफी सुर्खियों में हैं

रंगभरी एकादशी को बाबा विश्वनाथ अबीर-गुलाल होली खेलते हैं. अगले दिन मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म होली



चिता भस्म होली का स्थानीय भाषा में मसान होली या भभूत होली भी कहते हैं



हिंदू शास्त्रों के मुताबिक काशी की भस्म होली में बाबा विश्वनाथ के भक्त, देवी-देवता, यक्ष और गंधर्व भी शामिल होते हैं



भोलेनाथ के प्रिय भूत-पिशाच और प्रेतगण इंसानों के बीच होली खेलने से खुद को दूर रखते हैं



इसलिए खुद भोलेनाथ चिता की राख से मसान होली खेलने मणिकर्णिका घाट पर पहुंच जाते हैं



घाट पर जल रही चिताओं की राख से ही ये भस्म या मसान होली खेली जाती है



चिता भस्म होली की शुरुआत बाबा महाश्मशान नाथ और माता मशान काली की आरती से होती है



इसके बाद महाश्मशान नाथ और मशान काली को अबीर-गुलाल और भस्म चढ़ाते हैं



ऐसी मान्यता है कि दोपहर में भस्म होली खेलकर बाबा काशी विश्वनाथ स्नान करने के लिए मणिकर्णिका घाट पर भी आते हैं