हर साल 01 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय संगीत दिवस मनाया जाता है.

1974 में येहुदी मेनुहिन ने 01 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीयय संगीत दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की.

इसके साथ ही 21 जून को विश्व संगीत दिवस भी मनाया जाता है, जो संगीत के अभ्यास के लिए प्रेरित करता है.

हिंदू धर्म में भी संगीत की परंपरा रही है. सभी देवी-दवताओं के पास एक अलग वाद्य यंत्र है.

डमरू, घंटी, शंख, बांसुरी आदि कई धार्मिक वाद्य यंत्र और ध्वनियां हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में.

घंटी: इसकी ध्वनि को सकारात्मक और पवित्र माना जाता है. इसलिए लगभग सभी पूजा-अनुष्ठान में घंटी बजाई जाती है.

शंख: यह समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में एक है. पूजा में शंख बजाने से तीर्थाटन जैसा लाभ मिलता है. पूजा में शंख बजाने से तीर्थाटन जैसा लाभ मिलता है.

बांसुरी: बांसुरी श्रीकृष्ण को बहु प्रिय है. कहा जाता है जहां बांसुरी होती है, वहां परस्पर प्रेम और समृद्धि रहती है.

वीणा: सरस्वती और नारद का वीणा वंदन खूब प्रसिद्ध है. इससे निकलने वाली ध्वनि से रोग-दोष मिट जाते हैं.

डमरू: भगवान शिव का प्रमुख वाद्य यंत्र है. हिंदू धर्म के साथ ही तिब्बती बौद्ध धर्म में भी इसका खास महत्व है.

मंजीरा: मंजीरा भगवान के भजन-कीर्तन के दौरान उपयोग होने वाला विशेष वाद्य यंत्र है.