जगन्नाथ रथ यात्रा 20 जून से शुरू होगी. हर साल आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर पुरी में ये भव्य यात्रा निकलती है.

जगन्नाथ यात्रा में भगवान श्रीकृष्ण, बलभद्र और सुभद्रा जी रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं. ये यात्रा 10 दिन चलती है.

इसमें रथ का निर्माण नीम की लकड़ियों से होता है, इसे बनाने में कील या किसी अन्य धातु का इस्तेमाल नहीं होता.

रथों के लिए काष्ठ का चयन बसंत पंचमी के दिन से शुरू होता है और उनका निर्माण अक्षय तृतीया से प्रारम्भ होता है.

जगन्नाथ जी के रथ का नाम नंदीघोष, बलरामजी का तालध्वज और देवी सुभद्रा के रथ का नाम देवदलन होता है.

रथ तैयार होने के बाद पुरी के गजपति सोने की झाड़ू से रथ मण्डप और रास्ते को साफ करते हैं, इसे ‘छर पहनरा’ अनुष्ठान कहते हैं.

जगन्नाथ जी रथ यात्रा के दौरान गुड़ीचा मंदिर अपनी मौसी के घर विश्राम करते हैं और फिर दसवें दिन रथों की वापसी होती है.

इस यात्रा में तीनों रथ हल्की लकड़ी से बने होते है जिसे खींचना आसान है. मान्यता है इसे रथ को जो खींचता है वह जीवनभर सुखी रहता है.

जगन्नाथ जी का रथ लाल-पीला, बलराम जी का रथ लाल-हरा और सुभद्रा जी का रथ लाल-काले रंग का होता है.