18वीं शताब्दी में एक शख्स था सेठ फतेहचंद, जिसने मुगलों और अंग्रेजों को खूब दिया कर्ज



सेठ फतेहचंद ने सिर्फ आम लोग ही नहीं बल्कि देशों को भी कर्ज दिया



फतेहचंद ने नवाबों और राजाओं के खिलाफ जंग में आर्थिक मदद भी की



सिर्फ अंग्रेजों को ही नहीं, फ्रेंच और पुर्तगालियों को भी पैसा भेजा



ये ऐसा समय था जब भारत को कहा जाता था सोने की चिड़िया



कहा जाता है इनके पास इतना पैसा था, जितना ब्रिटेन के बैंकों में भी नहीं था



आखिरी मुगल बादशाह मुहम्मद शाह ने 1723 में फतेहचंद को 'जगत सेठ' का टाइटल दिया



इसके बाद फतेहचंद का पूरा परिवार जगत सेठ कहलाने लगा



लेकिन अंग्रेजों के बढ़ते हुकूमत के बीच परिवार ने खो दी अपनी पकड़



20वीं शताब्दी की शुरुआत में मिठ गया जगत सेठ परिवार का नाम