अपनी जन्म नगरी मथुरा से भगवान कृष्ण को बेहद लगाव था.



क्रूर मामा कंस का वध करने के बाद उन्होंने अपने माता-पिता को कारागार से मुक्त कराया.



जनता के अनुरोध पर कृष्ण ने मथुरा का पूरा राजभार संभाल लिया.



वहां की जनता भी कंस जैसे क्रूर शासक से मुक्ति चाहती थी लेकिन यह इतना आसान नहीं था.



कंस के वध बाद उसका ससुर जरासंध कृष्ण का कट्टर शत्रु बन गया.



कंस के मौत के बाद से ही वो कृष्ण से बदला लेकर मथुरा को हथियाना चाहता था.



पुराणों के अनुसार जरासंध ने 18 बार मथुरा पर चढ़ाई की जिसमें वह 17 बार असफल रहा.



अंतिम बार आक्रमण के लिए जरासंध ने एक विदेशी शक्तिशाली शासक कालयवन को भी अपने साथ ले लिया.



युद्ध में कालयवन मारा गया जिसके बाद उसके देश के लोग कृष्ण के दुश्मन बन गए.



बार-बार युद्ध से मथुरा की आम जनता भी त्रस्त हो गई थी.



नगर की सुरक्षा दीवारें भी धीरे-धीरे कमजोर होने लगी थीं.



अंत में कृष्ण ने सभी निवासियों के साथ मिलकर मथुरा को छोड़ने का फैसला किया.