जरासंध के दो सेनापति हंस और डिंभक थे

महाभारत के सभापर्व के अध्याय 14 में इसका जिक्र है

दोनों ही किसी भी शस्त्र से नहीं मारे जा सकने वाले योद्धा थे

कहा जाता है कि ये दोनों के दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे

श्रीकृष्ण ने दोनों सेनापतियों को मरवाने की एक रणनीति बनाई

उन्होंने अफवाह फैलाई कि हंस युद्ध में मारा दिया गया है

यह सुनकर डिंभक ने यमुना नदी में कूदकर अपनी जान दे दी

जब हंस को यह पता चला तो वह भी यमुना नदी में कूद गया

कुछ विद्वानों का मानना है कि दोनों समलैंगिक थे

हालांकि इसके बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है