जजिया को इस्लाम में सुरक्षा के लिए एक शुल्क के रूप में लिया जाता था

इसे मुस्लिम शासक गैर-मुस्लिम लोगों से वसूलते थे

ज्यादातर लोग इसे मुस्लिम राज्य में गैर-मुस्लिमों के अपमान मानते थे

ये सिर्फ गैर-मुस्लिमों से वसूला जाता था

जजिया एक सालाना
टैक्स व्यवस्था थी


इस रकम को मुगल दान, तनख्वाह और पेंशन बांटने के लिए करते थे

मुगल इसका इस्तेमाल अपने सैन्य खर्चों के लिए भी करते थे

मुगलों ने इसको लेकर सख्त नियम भी बनाया था

दुनिया के कई देशों में जजिया कर वसूलने की परंपरा रही है

भारत में इसकी शुरुआत अलाउद्दीन खिलजी ने 11वीं सदी में की थी.