कर्ण को महाभारत के सर्वश्रेष्ठ योद्धा के रूप में जाना जाता है

अर्जुन का साथ देने के लिए श्रीकृष्ण मौजूद थे लेकिन दुर्योधन खुद कर्ण पर आश्रित था

कर्ण एक सच्चा मित्र होने के साथ-साथ ही दानवीर भी था

कहा जाता है कि कर्ण से बड़ा दानी कोई नहीं था

उन्होंने माता कुंती को दिया अपना वचन बखूबी निभाया

कवच और कुंडल देने के बावजूद, कर्ण ने युद्ध को एक योद्धा की तरह लड़ा

कर्ण ने जरासंध को अकेले हराया था

कर्ण ने कुंती को वचन दिया था कि वो उनके 4 पुत्रों की जान नहीं लेगा

कई ऐसे मौके आए, जब उसका मुकाबला भीम, युधिष्ठिर, नकुल और सहदेव से हुआ

उन्होंने माता कुंती को दिया अपना वचन बखूबी निभाया

कर्ण ने श्रीकृष्ण से कहा था, युद्ध खत्म होने तक पांडवों को ये ना बताएं कि वह उनके भाई हैं.