कवासी लखमा नक्सलियों के साथ उनकी मूल भाषा में बातचीत करने में सक्षम हैं. साल 1998 में पहली बार कोंटा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए थे. मंत्री साल 2003 में बड़े अंतर यानी 51.54 फीसदी वोट से जीत हासिल किए थे. कवासी लखमा पिछले 20 साल से विधानसभा का सदस्य हैं. वह कहते हैं कि मुझ पर कभी भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा. कवासी लखमा छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री के रूप में सेवारत हैं. कवासी लखमा ने कहा था- मैं स्कूल नहीं गया और एक गरीब परिवार में पैदा हुआ था. लखमा बचपन में औपचारिक शिक्षा से वंचित थे और पढ़ना-लिखना नहीं जानते थे. मंत्री बनने पर हाथ में शपथ पत्र था, लेकिन उन्होंने उसे देखा नहीं. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने जो पढ़ा, उसे उन्होंने दोहराया.