खाटू श्याम का मतलब है, जो हारे और निराश लोगों को संबल प्रदान करे.

खाटू श्याम श्रीकृष्ण का कलयुग अवतार हैं. इनका जन्मोत्सव देवउठनी एकादशी के दिन होता है.

फाल्गुन शुक्ल षष्ठी से बारस तक खाटू श्याम के मंदिर में मेला लगता है. इसे ग्यारस मेला कहते हैं.

खाटू श्याम बाबा पांडव पुत्र भीम के पौत्र हैं और इनका नाम बर्बरीक था.

बर्बरीक भीम के पुत्र घटोत्कच का बेटा था. आज कलयुग में बर्बरीक को ही खाटू श्याम मानकर पूजा जाता है.

कृष्ण ने ही बर्बरीक को स्वयं का नाम देकर कलयुग में पूजे जाने का वरदान दिया था.

कहा जाता है कि स्वप्न दर्शनोपरांत खाटू धाम में स्थित कुंड में खाटू श्याम प्रकट हुए.

पौराणिक मान्यता के अनुसार कृष्ण को चरित्र दान देने के कारण खाटू श्याम को शीश दानी भी कहा गया है.

बाबा खाटू श्याम को विश्व का दूसरा और श्रेष्ठ धनुर्धर कहा जाता है.

बाबा खाटू श्याम को उनके भक्त 'हारे का सहारा' कहते हैं.