बाबा खाटू श्याम का संबंध पांडवों के वंश से बताया जाता है

कहा जाता है कि ये महारथी भीम के प्रपोत्र और घटोत्कच के पुत्र थे और इनके बचपन का नाम बर्बरीक था

मान्यता है कि इन्होंने अपने बाल्यकाल में ही शक्ति माता की कठोर उपासना की और उन्हें प्रसन्न करके तीन अभेद्य बाण उनसे प्राप्त किए थे

तभी से ये तीन बाणधारी कहलाए

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हें कलयुग का अवतार कहा जाता है

भक्त बड़ी दूर-दूर से इनके दर्शन करने के लिए प्रतिदिन भारी संख्या में आते हैं

खाटू श्याम का मंदिर राजस्थान प्रांत के सीकर जिले में स्थित है

इस मंदिर में बाबा श्याम का शीश विराजमान है

इस मंदिर में प्रतिदिन लाखों भक्त बाबा के दर्शन करते हैं

मान्यता है कि यहां बाबा श्याम अपने भक्तों की सभी मुरादें पूरी करते हैं

जो भी भक्त सच्चे हृदय से यहां मन्नत मांगते हैं बाबा उनकी इच्छा जरूर पूर्ण करते हैं

मान्यता है कि महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने इनसे इनका शीश दान में मांग लिया था

तभी से राजस्थान के सीकर में वीर बर्बरीक का शीश स्थापित कर दिया गया और वहां उनकी पूजा होने लगी

किवदंती है कि वीर बर्बरीक का धड़ हरियाणा के हिसार जिले के एक गांव बीड़ में स्थापित किया गया और वहां आज भी इनके धड़ की पूजा की जाती है