कुंभकरण राक्षस होते हुए भी विद्वान था

कुंभकर्ण छह माह सोने के बाद जागता था

उसके निश्चित जागने के समय से पहले ही रावण ने उसे उठा दिया

कुंभकर्ण ने सीता जी के अपहरण के कृत्य को गलत ठहराया

उसने रावण से कहा कि मैं जानकर भी अर्धम का साथ दे रहा हूं

ऐसा इसलिए क्योंकि उसके भाई रावण ने उसकी मदद मांगी है

इसके बाद वह श्री राम की सेना से पूरी ताकत से लड़ा

उसने युद्ध में कई वानरों को मौत की नींद सुला दिया

अंत में उसका भगवान राम से भीषण युद्ध हुआ

श्रीराम ने अपने बाणों से उसका वध कर दिया