बाबुल मोरा नैहर छूटो जाए... जानते हैं ये किसने लिखा? लखनऊ के आखिरी नवाब थे वाजिद अली शाह अंग्रेजी हुकुमत ने नवाब से छीन ली थी उनकी सत्ता नवाब इंग्लैंड जाकर महारानी विक्टोरिया से करना चाहते थे अपनी पैरवी लखनऊ से कलकत्ता जाते वक्त लिखा था- 'बाबुल मोरा नैहर छूटो जाए' 1857 की क्रांति के बाद नवाब को कैद कर फोर्ट विलियम भेज दिया गया कैद से छूटने पर नवाब को मिला बंगला नंबर-11, साथ ही 12 लाख रुपये पेंशन नवाब ने बंगले को दिया 'सुल्तान खाना' नाम, अंदर ही बनवायी प्राइवेट मस्जिद 365 बीवियों और बाकी लोगों के लिए कम पड़ रहा था खाना खर्चा न उठा पाने की वजह से नवाब ने एक साथ 27 बेगमों को दे दिया था तलाक