बिन तुम्हारे कभी नहीं आई
क्या मिरी नींद भी तुम्हारी है - जौन एलिया
आई होगी किसी को हिज्र में मौत
मुझ को तो नींद भी नहीं आती - अकबर इलाहाबादी
इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई
हम न सोए रात थक कर सो गई - राही मासूम रज़ा
मौत का एक दिन मुअय्यन है
नींद क्यूँ रात भर नहीं आती - मिर्ज़ा ग़ालिब
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो - राहत इंदौरी
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा
आज फिर याद कोई चोट पुरानी आई - इक़बाल अशहर
ता फिर न इंतिज़ार में नींद आए उम्र भर
आने का अहद कर गए आए जो ख़्वाब में - मिर्ज़ा ग़ालिब
भरी रहे अभी आँखों में उस के नाम की नींद
वो ख़्वाब है तो यूँही देखने से गुज़रेगा - ज़फ़र इक़बाल
अब आओ मिल के सो रहें तकरार हो चुकी
आँखों में नींद भी है बहुत रात कम भी है - निज़ाम रामपुरी
बहुत कुछ तुम से कहना था मगर मैं कह न पाया
लो मेरी डाइरी रख लो मुझे नींद आ रही है - मोहसिन असरार