तू किसी रेल सी गुज़रती है... पढ़ें रेलगाड़ियों पर 10 शानदार शेर

Published by: एबीपी लाइव
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महसूस हो रहा है कि मैं ख़ुद सफ़र में हूँ
जिस दिन से रेल पर मैं तुझे छोड़ने गया
- कैफ़ अहमद सिद्दीकी

रेल देखी है कभी सीने पे चलने वाली
याद तो होंगे तुझे हाथ हिलाते हुए हम
- नोमान शौक़

रात थी जब तुम्हारा शहर आया
फिर भी खिड़की तो मैं ने खोल ही ली
- शारिक़ कैफ़ी

तू किसी रेल सी गुज़रती है
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ
- दुष्यंत कुमार

यादों की रेल और कहीं जा रही थी फिर
ज़ंजीर खींच कर ही उतरना पड़ा मुझे
- ज़ेहरा शाह

इक दनदनाती रेल सी उम्रें गुज़र गईं
दो पटरियों के बीच वही फ़ासले रहे
- मोहम्मद असदुल्लाह

जाने किस की आस लगी है जाने किस को आना है
कोई रेल की सीटी सुन कर सोते से उठ जाता है
- साबिर वसीम

'अंजुम' तुम्हारा शहर जिधर है उसी तरफ़
इक रेल जा रही थी कि तुम याद आ गए
- अंजुम रहबर

सरमा की रात रेल का डिब्बा उदासियाँ
लम्बा सफ़र है और तिरा साथ भी नहीं
- सलीम बेताब

पीछे पीछे रात थी तारों का इक लश्कर लिए
रेल की पटरी पे सूरज चल रहा था रात को
- बशीर बद्र