मंत्रों का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है मंत्रों के जाप का वैदिक शास्त्र में विशेष महत्व बताया गया है मंत्रों के उच्चारण से मनुष्य को मानसिक रूप से शांति मिलती है मंत्रों का जाप करने से नकारात्क ऊर्जा दूर रहती है आइए जानते हैं कि जीवन पर आधारित संस्कृत के 5 मंत्र कौन से हैं संतोषवत् न किमपि सुखम् अस्ति|| भावार्थ : संतोष से बढ़कर कोई सुख नहीं है जीवितं क्षणविनाशिशाश्वतं किमपि नात्र|| भावार्थ : यह क्षणभुंगर जीवन में कुछ भी शाश्वत नहीं है जीविताशा बलवती धनाशा दुर्बला मम्|| भावार्थ: मेरी जीवन की आशा बलवती है पर धन की आशा दुर्लभ है जीवचक्रं भ्रमत्येवं मा धैर्यात्प्रच्युतो भव|| भावार्थ: जीवन का चक्र ऐसे ही चलता है इसीलिए धैर्य ना खोए न दाक्षिण्यं न सौशील्यं न कीर्तिःनसेवा नो दया किं जीवनं ते|| भावार्थ: ना दान है ना सुशीलता है ना कीर्ति है ना सेवा है ना दया है तो ऐसा जीवन क्या है