प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर... पढ़ें नदी पर शानदार शेर

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क्लासिकी शायरी में दरिया का इस्तेमाल बेहद कम है. आज हम आपको दरिया यानी नदी पर लिखे उन बेहतरीन शायरियों से रूबरू करा रहे हैं, जो जिंदगी की अहमियत समझाते हैं.

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प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर
भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर

- साक़ी फ़ारुक़ी

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कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगा
मैं तो दरिया हूँ समुंदर में उतर जाऊँगा

- अहमद नदीम क़ासमी

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बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ

- राहत इंदौरी

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चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है

- फ़रहत एहसास

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अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है

- बशीर बद्र

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गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया
लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता

- क़तील शिफ़ाई

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सफ़र में कोई किसी के लिए ठहरता नहीं
न मुड़ के देखा कभी साहिलों को दरिया ने

- फ़ारिग़ बुख़ारी

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कटी हुई है ज़मीं कोह से समुंदर तक
मिला है घाव ये दरिया को रास्ता दे कर

- अदीम हाशमी

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