राजस्थान के भरतपुर में लोहागढ़ किला है



इस किले को मुगल, अंग्रेज और मराठा भी नहीं जीत पाए इसलिए इसे अजय किला भी कहा जाता है



लोहागढ़ किला महाराज सूरजमल ने साल 1733 में बनवाना शुरु किया था



लोहागढ़ किले को बनाने में लगभग 8 साल लगे थे. किले को बनवाने में मजबूती का खास ख्याल रखा गया इसलिए इसे लोहागढ़ किले के नाम से जाना जाता है



इस किले के चारों ओर 60 फुट की गहरी खाई है जिसकी चौड़ाई 100 फुट है, किले पर 34 टॅावर खड़े किए गए हैं जहां से सैनिक हमलावरों को देख सकें



जब युद्ध हुआ करते थे तो किले में मोती झील और सुजान गंगा नहर का पानी भरकर उसमें मगरमच्छ छोड़ दिए जाते थे



आक्रमण के समय मगरमच्छ को भूखा रखा जाता था ताकि दुश्मन सैनिक हमले के लिए खाई में उतरे तो मगरमच्छ उसे अपना भोजन बना ले



इस किले को बनाने से पहले पत्थर और मिट्टी की चौड़ी और मजबूत दीवार बनाई गई, जिससे बारूद और गोलियां किले को कोई नुकसान न पहुंचा सकें



लोहागढ़ किले को जीतने के लिए अंग्रेजों ने 13 बार हमले किए, मुगलों ने भी कई बार गोला बारूद बरसाए फिर भी किले को कोई जीत न सका



लोहागढ़ किले के अंदर कई महल, मंदिर, बगीचा और गेट बनाए गए हैं