भारत के मसाले और मसालेदार खानों को पूरी दुनिया में पसंद किया जाता है भारत से दूसरी एंट्री है लखनऊ का फेमस टुंडे कबाब यह वैश्विक स्तर पर 12वें नंबर पर है साल 1905 में स्थापित यह रेस्तरां गलौटी कबाब के लिए पसंद किया जाता है इसे मुगलाई खाने का एक्सपर्ट माना जाता है 125 सामग्रियों से युक्त, टुंडे कबाब कीमा बनाया हुआ मांस से बनाया जाता है पहली बार इसे आजमाने से पहले ही आप इसकी सुगंध से मंत्रमुग्ध हो जाएंगे 113 वर्षों से व्यवसाय में होने के बावजूद, यह नुस्खा अभी भी कई लोगों के लिए एक रहस्य बना हुआ है हाजी मुराद अली ने चौक के अकबरी गेट के पास सबसे पहले एक छोटी सी दुकान से दिलकश कबाब का सफर शुरू हुआ था हाजी मुराद अली पतंग उड़ाने के बेहद शौकीन थे पतंग उड़ाने के दौरान उनका हाथ घायल हो गया था कुछ वक्त बाद उन्हें अपना हाथ कटवाना पड़ा था हाथ कट जाने के बाद हाजी मुराद अली अपनी इसी दुकान पर बैठने लगे थे जो भी इस दुकान पर कबाब खाने आता वह उन्हें एक हाथ न होने की वजह से टुंडा कहकर पुकारता था टुंडे का अर्थ होता है जिसका एक हाथ न हो बस यहीं से टुंडे कबाब को नई पहचान मिल गई और यहां से टुंडे कबाब का सफर शुरू हो गया टुंडे कबाब की दुकान में आपको 60 रूपए में बीफ के 4 कबाब मिलते हैं.