शकुनि मामा की महाभारत युद्ध में अहम भूमिका मानी जाती है

शकुनि गंधारी के भाई और धृतराष्ट्र के साले थे

शकुनि ने चौसर के खेल में पांडवों से उनका सबकुछ छीन लिया था

इसे दोबारा पाने के लिए पांडवों को कौरवों से युद्ध करना पड़ा

चौसर के खेल में उसके पास जादुई पासे थे

इन पासे में हमेशा वो संख्या आती थी जो शकुनि बोलता था

माना जाता है कि इसमें उसकी पिता की आत्मा बसी थी

ये पासे उनके मृत पिता की रीढ़ की हड्डी से बने हुए थे

इसलिए वो चौसर के खेल में कभी हारे नहीं

यह कहानी लोककथाओं में मिलती है