महाभारत युद्ध 18 दिन तक चला था, जिसमें पांडवों की जीत हुई. इसके बाद 36 साल तक पांडवों ने हस्तिनापुर पर शासन किया.

युधिष्ठिर को हस्तिनापुर का राजा बनाया गया. वहीं गांधारी ने 100 पुत्रों की मृत्यु के लिए कृष्ण को उनके यदुवंशी कुल के नाश का श्राप दिया.

गांधारी के श्राप से यदुवंशी आपस में ही लड़ने लगे और एक-दूसरे की हत्या करने लगे. इस तरह यादव वंश का वजूद खत्म हो गया.

महाभारत के अनुसार 15 साल बाद वेद व्यास जी की दिव्य माया से युद्ध में मारे गए सभी योद्धा एक रात के लिए दोबार जीवत हो गए.

कुछ योद्धाओं की विधवा पत्नियों ने उस रात गंगा में डूबकी लगाकर प्राण त्याग दिए और पति के साथ उनके लोक चली गईं.

गुजरात के प्रभास क्षेत्र में जरा नाम के एक शिकारी ने गलती से कृष्ण के पैर में तीर मार दिया, जिसके बाद उन्होंने मानव देह त्याग दी.

कृष्ण के बैकुंठ लौटने के बाद युधिष्ठिर ने अपने प्रपौत्र परीक्षित को राजपाठ सौंप दिया और द्रौपदी, भाईयों से स्वर्ग की यात्रा पर निकल गए.

ग्रंथ अनुसार मृत्यु के पश्चात दुर्योधन को अपने उद्देश्य के लिए एकनिष्ठ रहने की वजह से स्वर्ग मिला, वहीं पांडवों को नर्क प्राप्त हुआ.