महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन नगर में स्थित है. यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है.

कहते हैं कि जब सृष्टी बनी उस समय सूर्य की पहली 12 रश्मियां धरती पर गिरीं.

उनसे ही 12 ज्योर्तिलिंग का बने, महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग सूर्य की

पहली 12 रश्मियों से ही बना है. महाकाल मंदिर का मुख दक्षिण दिशा की ओर है.

इसलिए तंत्र क्रियाओं के लिए महाकाल मंदिर का अपना विशेष महत्व है.

महाकाल की नगरी उज्जैन में हरसिद्धी, कालभैरव, विक्रांत भैरव आदि भगवान विराजमान है

महाकाल मंदिर में एक प्राचीनकाल का कुंड है. कहते हैं कि यहां स्नान करने से कष्ट दूर होते हैं.

महाकालेश्वर मंदिर तीन खंडों में बना है.जिसके नीचे वाले हिस्से में महाकालेश्वर, बीच के हिस्से में ओंकारेश्वर

और ऊपर के हिस्से में भगवान नागचंद्रेश्वर विराजमान हैं. महाकाल मंदिर की भस्म आरती विशेष है.

शिव पुराण में भस्म को सृष्टि का सार बताया गया है. इसका अर्थ ये है कि एक दिन यह संपूर्ण सृष्टि

शिवजी में समाहित हो जाएगी. इसीलिए भोलेनाथ सदैव भस्म धारण किए रहते हैं.

मान्यता है कि इस भस्म को माथे पर लगाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

भस्म आरती