मुगल बादशाह हुमायूं चित्तौड़ की राजमाता की एक आवाज पर मदद के लिए चला आया था

दरअसल 1534  में गुजरात का सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर हमला कर दिया था

राजमाता कर्णावती जानती थीं कि महाराणा विक्रमादित्य एक बुद्धिमान शासक नहीं हैं

चित्तौड़ की लाज बचाने के लिए कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजकर मदद मांगी

जब चित्तौड़ पर हमला हुआ तब हुमायूं ग्वालियर किले में ठहरा हुआ था

हुमायूं ने राजमाता की राखी का मान रखा और फौज जुटाने का आदेश दे दिया

राजमाता की मदद करने के लिए हुमायूं अपनी पूरी ताकत के साथ चित्तौड़ पहुंचा

जब तक वह चित्तौड़ पहुंचा देर हो चुकी थी और राजमाता महल के सभी स्त्रियों के साथ जौहर कर चुकी थीं

ये बात सुनते ही हुमायूं गुस्से से भर गया और गुजरात पर हमला कर बहादुर शाह को हरा दिया

ऐसे में चित्तौड़ के सैनिकों ने चित्तौड़ पर हमला कर बहादुर शाह के सैनिकों को भगा दिए

इसके बाद चित्तौड़ के राजकुमार उदय सिंह को बूंदी से लाकर दोबारा महाराणा बनाया गया