कैसे होती थी चील से हीरे की खेती, मार्को पोलो ने भारत के लिए क्या लिखा?



साल 1271 में मार्को पोलो ने पिता निकोलो पोलो के साथ चीन की यात्रा शुरू की



चंगेज खान के पोते कुबलई खान ने मार्को को अपना मंत्री बना लिया



कुबलई खान ने मार्को को राजदूत का दर्जा भी दिया और भारत की यात्रा पर भेजा



भारत आकर मार्को पोलो ने कई बड़ी चीजों का जिक्र किया



मार्को ने दक्षिण में रानी रुद्रमा देवी का जिक्र किया और उन्हें न्याय की मूर्ति बताया



रुद्रमा देवी के ही राज्य में मार्को ने चील से हीरे की खेती के बारे में बात की



इसमें लोग हीरे की खदान में खड़े होकर अंदर मांस के टुकड़े फेंक देते थे



मांस के टुकड़ों से चीलें वहां आ जाती थी और अपने साथ हीरे चिपका लाती



लोग जोर-जोर से चिल्लाकर चीलों को डरा देते थे, जिससे वो हीरे वहीं छोड़कर चली जाती थीं