Apple के 48MP कैमरे के आगे क्यों फेल हो जाता है एंड्रॉयड का 108MP वाला कैमरा, जानें क्या है खास

Published by: एबीपी टेक डेस्क
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Apple का 48MP कैमरा सिर्फ मेगापिक्सल पर निर्भर नहीं करता, बल्कि इसका A-series चिपसेट और Deep Fusion टेक्नोलॉजी फोटो की क्वालिटी को बेहतरीन बनाते हैं.

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Apple का कैमरा ProRAW सपोर्ट करता है, जिससे ज्यादा डीटेल और डायनामिक रेंज मिलती है, जबकि Android के 108MP कैमरे में यह फीचर सीमित होता है.

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iPhone का Quad-Pixel Sensor 4 पिक्सल को मिलाकर ज्यादा रोशनी कैप्चर करता है जिससे कम रोशनी में भी शानदार तस्वीरें आती हैं.

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iPhone के कैमरा सेंसर की क्वालिटी Android के 108MP सेंसर की तुलना में बेहतर होती है जिससे तस्वीरों में अधिक क्लैरिटी और नैचुरल कलर्स मिलते हैं.

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Apple का Photonic Engine कम रोशनी में भी बेहतरीन फोटो लेता है, जबकि कई 108MP कैमरे नाइट मोड में शोर (Noise) बढ़ा देते हैं.

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iPhone के 48MP कैमरे में एडवांस OIS मिलता है जिससे फोटो और वीडियो ज्यादा स्टेबल होते हैं जबकि कई Android डिवाइसेज़ में यह फीचर सीमित होता है.

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Apple के पोर्ट्रेट मोड में LiDAR सेंसर का इस्तेमाल होता है जिससे बैकग्राउंड ब्लर और सब्जेक्ट डिटेक्शन बेहतर होता है जो कई 108MP कैमरों में नहीं मिलता.

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iPhone का 48MP कैमरा ProRes, 4K Cinematic Mode और Action Mode सपोर्ट करता है जिससे वीडियो क्वालिटी Android के 108MP कैमरों से कहीं बेहतर होती है.

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Apple का कैमरा हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का बेहतरीन कॉम्बिनेशन है जो इमेज को लाइव एडिटिंग और कलर करेक्शन जैसी सुविधाएं देता है.

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