मुगलकाल में बादशाह की रानियों, दासियों समेत अन्य औरतों को रखे जाने की जगह को कहा जाता था हरम



हरम में दूसरे मर्दों को जाना होता है मना



बादशाह के अलावा हरम में होती थी केवल किन्नरों की एंट्री



हरम में रहती थी रानियां, रखैलें, दासियां



हरम की औरतों पर न पड़े किसी और पुरुष की नजर, इसलिए लगी थी पाबंदी



बादशाह बाबर ने की थी हरम की शुरूआत



जहांगीर के शासन में चरम पर थी हरम बनवाने की पंरपरा



औरंगजेब के शासन के दौरान यह परंपरा हो गई थी खत्म