मुमताज को देखते ही दिल हार बैठे थे शाहजहां उन्होंने मुमताज को सबसे पहले एक बाजार में देखा था जिसके बाद वह मुमताज को देखने के लिए रोज बाजार जाया करते थे जिसके बाद दोनों की सगाई हो गई सगाई होने के पांच साल बाद 10 मई 1612 को दोनों का निकाह हो गया 17 जून 1631 को मुमताज की मौत हो गई जिसके बाद उनको मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में तापी नदी के किनारे दफनाया गया वहां से तकरीबन 6 महीने बाद मुमताज के शव को आगरा लाया गया 1632 में युमना नदी के किनारे दफनाया गया जिसके बाद ताजमहल का निर्माण करवाया गया हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है यह कहना मुश्किल है