ये देवालय लाटू मंदिर के नाम से जाना जाता है.



स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर में एक नागमणि मौजूद है.



नाग देवता स्वयं करते हैं मणि की रक्षा.



​ मणि की रोशनी से आदमी हो जाता है अंधा.



मंदिर में पुजारी के अलावा किसी को प्रवेश की अनुमति ​नही.



पुजारी भी करते है पट्टी बांधकर पूजा.



साल में केवल एक दिन वैशाख माह की पूर्णिमा को खुलते है मंदिर के पट.