गुरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद व्यक्ति को उसके
कर्म के अनुसार स्वर्ग और नर्क मिलता है.


गुरुड़ पुराण में 55 करोड़ नरक बताए गए हैं, जिसमें
16 तरह के नरक सबसे ज्यादा पीड़ादायक होते हैं.


नर्क पृथ्वी से नीचे जल के ऊपर पाताल में दक्षिण दिशा में स्थित है.



नर्क में शाल्मली नाम का विशालकाय वृक्ष आग की तरह दहकता है.
पापी जीवात्म को इससे बांधकर दंड दिया जाता है.


गुरुण पुराण के अनुसार कुंभीपाक नर्क में पापी जीवात्मा को खौलते
तेल में डाला जाता है.


बिना किसी की मर्जी के उसके साथ अनैतिक संबंध बनाने वाले को
शालमली नरक में जलते हुए कांटों पर लेटाया जाता है.


दान न करने वाला, तामसिक भोजन, सदा क्रोध में रहने वाले,
शोषण करने वाले और पितर का अपमान करने वाला नर्क भोगता है.


कुरान के अनुसार एक वक्त की नमाज छोड़ने वाले को 80 साल
तक दोजख यानी नर्क की यातनाएं झेलनी पड़ती है.