सनातन धर्म में नदियों का विशेष महत्व है. इन्हें पावन और पवित्र माना जाता रहा है.



कहा जाता है कि नर्मदा के हर कंकर में शंकर का वास है.



नर्मदा नदी की सालों की तपस्या के बाद ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए.



और नर्मदा नदी को वरदान मांगने को कहा.



नर्मदा ने वरदान मांगा कि मुझे गंगा नदी के समान कर दीजिए.



तब ब्रह्माजी ने कहा कि कोई देवता शिव की और कोई पुरुष विष्णु की बराबरी कर ले,



कोई नगरी काशी की बराबरी कर ले, तब कोई दूसरी नदी गंगा के समान हो सकती है.



यह सुनकर नर्मदा ने वरदान का त्याग किया,



और काशी में जाकर शिवलिंग की स्थापना कर घोर तपस्या करने लगीं.



शिव जी ने प्रसन्न होकर नर्मदा नदी को दर्शन दिए और वरदान दिया



कि तुम्हारे तट पर जितने भी पत्थर हैं, वे शिवलिंग रूप हो जायेंगे.



तभी से नर्मदा का हर कंकर शंकर कहा जाने लगा.