हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का
विशेष महत्व होता है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित है.


पूरे साल में कुल 24 और
अधिकमास होने पर 26 एकादशी पड़ती है.


सभी का अपना विशेष महत्व
होता है. इनमें एक एकादशी ऐसी होती है, जिसे श्रेष्ठ और कठिन व्रतों में एक माना गया है.


इसे निर्जला एकादशी के नाम
से जाना जाता है. निर्जला एकादशी को भीम एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं.


अगर आप सभी एकादशी का व्रत
रखने में सक्षम नहीं है तो केवल निर्जला एकादशी का व्रत भी रख सकते हैं.


निर्जला एकादशी का व्रत इस
साल बुधवार यानि 31 मई 2023 को रखा जाएगा.


निर्जला एकादशी व्रत के दिन
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें फिर पूजाघर में घी का दीपक जलाएं.


भगवान विष्णु की पूजा के लिए
सबसे पहले गंगाजल से अभिषेक करें. फिर चंदन और हल्दी से तिलक करें.


अब फूल, पीले वस्त्र, पीला
जनेऊ, अक्षत, तुलसीदल आदि अर्पित करें और सात्विक चीजों का भोग लगाएं.


धूप-दीप जलाकर निर्जला
एकादशी की व्रत कथा सुनें या पढ़ें. इसके बाद आखिर में लक्ष्मी जी की पूजा और आरती करें.