पाकिस्तान किस मुसीबत में फंस गया है, इसके आंकड़े उसके बजट 2023-24 से सामने आए हैं.



पाकिस्तान में नए वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश हुआ आम बजट दरअसल उसकी घोर आर्थिक बदहाली को सामने लाने वाला दस्तावेज बन गया है.



अब खुद पाकिस्तान सरकार ने स्वीकार किया है कि देश स्टैगफ्लेशन (आर्थिक वृद्धि दर से अधिक मुद्रास्फीति दर) की गहरी खाई में गिर चुका है.



चालू वित्त वर्ष में जहां आर्थिक वृद्धि दर महज 0.3% रही, वहीं मुद्रास्फीति की दर औसतन 38% रही.



शहबाज सरकार ने आर्थिक बदहाली के लिए अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करने के बजाय इसका दोष IMF पर डालने की कोशिश की है.



वित्त मंत्री इशहाक डार ने कहा- मंजूर हो चुके कर्ज जारी करने को लेकर IMF ने जो टाल-मटोल की, उसका पाक की आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ा.



डार ने कहा- IMF का कर्ज ना मिलने की स्थिति में सरकार के पास एक ‘प्लान-बी’ है, लेकिन अपने लंबे बजट भाषण के दौरान उन्होंने इसका कोई ब्योरा नहीं दिया.



पाक सरकार ने स्वीकार किया है कि निम्न आर्थिक वृद्धि के कारण मुल्क में बेरोजगारी और गरीबी में भारी इजाफा हुआ है.



बेरोजगारी ऐसे समय में भी बढ़ती जा रही है, जब लोगों को 38% की उच्च महंगाई दर का सामना करना पड़ रहा है.



पाक के बजट दस्तावेज से सामने आया कि शहबाज सरकार आर्थिक लक्ष्यों के सभी मोर्चों पर नाकाम रही.



बजट पेश होने से पहले आई एक सूचना के मुताबिक, आयात और उपभोग पर लगी भारी रोक के कारण आर्थिक वृद्धि दर में बड़ी गिरावट आई.



पिछले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रही थी. तब देश में इमरान खान की सरकार थी.



वहीं, आर्थिक बदहाली के बावजूद मौजूदा सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में 35% तक बढ़ोतरी का ऐलान किया है.