हिंदू धर्म शास्त्रों में प्राण प्रतिष्ठा को धार्मिक अनुष्ठान बताया गया है.



मान्यता है कि जब भी किसी मंदिर का निर्माण होता है,



और वहां पर देवी-देवताओं की मूर्तियों की स्थापना की



जाती है तो पहले उनमें प्राण प्रतिष्ठा की जाती है.



प्राण प्रतिष्ठा का मतलब हुआ प्रतिमा में देव-देवताओं के



आने का आह्वान करना. ताकि वे पूजनीय योग्य बन सके.



धार्मिक ग्रंथों के अनुसार प्राण प्रतिष्ठा के



पहले तक प्रतिमाओं को पूजा नहीं जा सकता.



प्राण प्रतिष्ठा से पहले तक प्रतिमा निर्जीव रहती हैं.



प्राण प्रतिष्ठा के लिए प्रतिमाओं को पहले सम्मान के साथ मंदिर लाया जाता है.



प्राण प्रतिष्ठा की विशेष रूप से पूजन प्रक्रिया शुरू की जाती है.



इसके बाद देवता को आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू होती हैं.



सबसे पहले प्रतिमा की आंखों से पर्दा हटाया जाता है.



इसके बाद उन देवता की पूजा अर्चना होती है.